गया: ज़िला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह द्वारा आज बाराचट्टी प्रखंड सह अंचल कार्यालय का किया गया निरीक्षण, शांति व्यवस्था बहाल रखने और क़ानून व प्रशासन के प्रति लोगों में विश्वास को मज़बूत करने के लिए 205 कोबरा के त्याग, बलिदान और अप्रतिम योगदान का किया सराहना

ICN NEWS BIHAR/GAYA(बिष्णु सिन्हा):

गया, 22 जुलाई, 2021, ज़िला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह द्वारा आज बाराचट्टी प्रखंड सह अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के क्रम में उन्होंने जल जीवन हरियाली अभियान के कार्यों की समीक्षा की। पौधारोपण कार्य की समीक्षा में जिलाधिकारी ने पौधारोपण का लक्ष्य एवं प्रगति के बारे में कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा से पूछा। कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा द्वारा कार्य मे प्रगति कम बताए जाने पर जिलाधिकारी ने असंतोष व्यक्त करते हुए स्पष्टीकरण देने का निदेश दिया।
इसके उपरांत *बाराचट्टी प्रखंड के अंजनीयाटांड पंचायत में विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत 15 एकड़ में लगे लेमन ग्रास की खेती का निरीक्षण किया। सर्वप्रथम जिलाधिकारी द्वारा लेमनग्रास की रोपनी की गई।*
रोपनी के बाद जिलाधिकारी ने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि लेमन ग्रास की खेती कर किसान बहुत ही अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। इसकी एक बार खेती करने पर 5 वर्षों तक लगातार प्रतिवर्ष रु60000 प्रति एकड़ की दर से किसानों को आय होती है, जो अन्य किसी भी धान्य फसल यथा धान, गेहूं इत्यादि से नहीं हो सकती है। इसकी खेती ऐसे क्षेत्रों में भी की जा सकती है, जहां अन्य फसल लगाना संभव नहीं है या जहां साल भर में पानी की कमी के कारण मात्र एक फसल ही लगाई जा सकती है। अब लेमन ग्रास की खेती में प्रथम वर्ष ही 50 से ₹60 हज़ार प्रति एकड़ की दर से लागत आती है। इसके बाद दूसरे से पांचवें वर्ष तक 15 से ₹20 हज़ार प्रति एकड़ की लागत और सालाना ₹60000 तक आय हो जाती है। *जिला प्रशासन गया के द्वारा लेमनग्रास की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विशेष सहायता योजना के तहत लागत मूल्य का 50% अधिकतम ₹30 हज़ार प्रति एकड़ की दर से सहायता अनुदान दी जा रही है।* नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कुछ ऐसे फसलों की खेती किसानों के द्वारा अवैध रूप से की जा रही है, जो सरकार के द्वारा प्रतिबंधित है। ऐसी फसलें परिवार एवं समाज के लिए नुकसान दे दी है। लेमन ग्रास की खेती उन फसलों से ज्यादा आय सम्मानजनक तरीके से मुहैया करा सकती है। जिलाधिकारी ने किसानों से अधिक से अधिक संख्या में इन योजना से जुड़कर लेमन ग्रास की खेती पर जिला प्रशासन, गया द्वारा दिए जा रहे अनुदान का लाभ उठाने की अपील की।
इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी, गया श्री सुदामा महतो ने किसानों को बताया कि विशेष अंगीभूत योजना के तहत यहाँ तेल निष्कासन यंत्र की स्वीकृति दी गई हैं, जिससे किसानों को अपने उत्पादित लेमनग्रास से तेल निकालने में सुविधा होगी। कोरोना काल में सेनेटाईजर के बहुतायत में उपयोग से इस तेल की मांग राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजार में बहुत बढ़ गई है। श्रीमती मंजू देवी एवं अन्य किसानों ने बड़े पैमाने पर लेमनग्रास की खेती कर जिले को अच्छी राह दिखायी है। उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि गया जिला आने वाले समय में लेमनग्रास का हब बनेगा।
सहायक निदेशक उद्यान, गया श्री शशांक कुमार के द्वारा बताया गया कि *लेमनग्रास की खेती बाराचट्टी के अलावा इमामगंज, डोभी, कोंच एवं बांकेबाजार प्रखंडों में 20-20 एकड़ में भी शुरू की जा रही है।*
205 कोबरा वाहिनी गया ज़िले के अति नक्सल प्रभावित इलाक़ों में जनता को निरंतर सक्षम सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ समाज और पर्यावरण की समृद्धि में भी अहम योगदान दे रही है। लगातार पारिचालनिक अभियानों को कुशलतापूर्वक सम्पन्न करने के साथ नए कमांडोज को प्रशिक्षित करना, कोरोना महामारी के इस दौर में आस पास के ग्रामीणों को शारीरिक दूरी, मास्क व सैनिटाइजर के प्रयोग के प्रति जागरुक करने के अतिरिक्त उनके बीच आवश्यक दवाइयाँ वितरित करना, छोटे बच्चों को कैम्पस में संचालित मोंटेसरी स्कूल में शिक्षित करना, इत्यादि क्रियाकलापों के ज़रिए अपने ज़िम्मेदारी के इलाक़े का निःस्वार्थ और सर्वांगीण विकास कर रही है। इसी क्रम में स्वस्थ शरीर के लिए परम आवश्यक स्वस्थ जलवायु और वन संरक्षण के लिए भी यह वाहिनी सतत प्रयत्नशील है। पर्यावरण संरक्षण के लिए बटालियन के द्वारा पारम्परिक तरीक़ों के अलावा जापान के अग्रणी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी के द्वारा प्रतिपादित वनरोपन के सिद्धांतों के अनुसार वनीकरण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत पहले मिट्टी का अध्ययन करने के उपरांत बेहद कम दूरी पर और छोटे सी जगह में उस इलाक़े विशेष में उपलब्ध मूल पौधों का रोपण किया जाता है, तथा इन पौधों की देखभाल विशेष तकनीक के ज़रिए की जाती है, जिस से इनका विकास 10 से 20 गुणा ज़्यादा तेज होता है और कुछ ही वर्षों में ये विकसित होकर उस छोटी सी जगह को वनाच्छादित कर देते हैं। आम जनमानस को वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक और प्रोत्साहित करने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में मुख्य अतिथि के तौर पर गया के ज़िलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह मौजूद थे। उन्होंने विधिवत पूजन कर वाहिनी के प्रांगण में वीर भृगुनंदन मियावाकी उपवन के शिलापट्ट का अनावरण किया और वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर बिहार सेक्टर केरिपू बल के कमांडेंट श्री मुन्ना कुमार सिंह, 205 कोबरा के कमांडेंट श्री कैलाश, द्वितीय कमान अधिकारी श्री महाले मनीष, अधीनस्थ अधिकारी तथा जवान मौजूद थे।
वृक्षारोपण कार्यक्रम के उपरांत ज़िलाधिकारी ने देश की पहली महिला कोबरा कमांडो बैच की कमांडोज से मुलाक़ात की और उन्हें प्रजातंत्र की जड़ों को मज़बूत रखने का संदेश दिया। साथ ही उन्हें अपने कर्तव्यपालन के दौरान मानवीय मूल्यों की महत्ता के बारे में भी बताया। उन्होंने विश्वास जताया की महिला कमांडोज के जुड़ने से नक्सल अभियानों और भटके हुए ग्रामीणों को मुख्य धारा में जोड़ने में विशेष मदद मिलेगी क्योंकि महिलाएँ शांति, शक्ति और करुणा का प्रतीक हैं और लोगों को जोड़ने में विशेष भूमिका निभाएँगी। उन्होंने गया ज़िले में शांति व्यवस्था बहाल रखने और क़ानून व प्रशासन के प्रति लोगों में विश्वास को मज़बूत करने के लिए 205 कोबरा के त्याग, बलिदान और अप्रतिम योगदान की सराहना की। अंत में महिला कार्मिकों की निष्ठा और सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए उन्होंने उनके सफल भविष्य की शुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम के समापन पर कमांडेंट श्री कैलाश ने ज़िलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह को स्मृति चिह्न प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। ज़िलाधिकारी ने प्रजातांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने में कमांडेंट श्री कैलाश के नेतृत्व में 205 कोबरा की महती भूमिका की प्रशंसा करते हुए वाहिनी के सभी अधिकारियों और कार्मिकों को अपनी शुभकामनाएँ दी।

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