ICN NEWS BIHAR/GAYA(बिष्णु सिन्हा):
आज उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 140 वीं जयंती है। आज ही के दिन यानि 31 जुलाई 1880 को लमही बनारस में मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था।वे हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं।
अनंतधीश अमन
इस मौके पर साहित्य के क्षेत्र से जुड़े लेखक एवं भाजपा युवा नेता अनंतधीश अमन ने उन्हें नमन करते हुए एवं उनके रचना और किरदारों को याद करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद जी का नाम साहित्य में बङे अदब से लिया जाता है और उससे भी ज्यादा अदब से उनकी कहानियां एंव उनकी अन्य रचनाएं पढी जाती है और जब उनके कहानियों का प्रर्दशन रंगमंच से किया जाता है तो दर्शक डूब जाते है, संभल जाते हैं और समाज के लिए बहुत कुछ कर जाते है ।
हामिद के चिमटे खरीदने का सिलसिला आज भी है, पूस की रात में खेत पर जाने के लिए कंबल के लिए बचाए पैसे आज भी साहू को देना पङ जाता है, बूढी काकी को आज भी तिरस्कार सहना पङ जाता है ।
किंतु धीरे-धीरे समाज की कुरीतियों में पात्र की पात्रता कम हो रही समाज संबलता, नैतिकता के पथ पर आगे बढ़ने का काम कर रहा है किंतु आदत जाते-जाते ही जाएगी।बस यूं समझ लिजिये कुछ अच्छा करते-करते जाएगी।