साहित्यकार पंडित सिद्धनाथ मिश्र नहीं रहे

 


ब्यूरो चीफ युगल किशोर मिश्रा
पंडित सिद्धनाथ मिश्र एक उच्च कोटि के साहित्यकार व कवि थे अपने जीवन काल में समय-समय पर कई कवि सम्मेलन एवं साहित्य गोष्ठी में भाग लिया विचार से उत्तम एवं मीठी बोली के लिए जाने जाते रहे उनके जीवन में एक भरा पूरा परिवार का दायित्व भी था इसलिए उनकी एक ही पुस्तक अपनी दिन अपनी रातें ही प्रकाशित हो सकी वैसे साहित्य से उन्होंने नाता नहीं तोड़ा अपने दिन अपनी रातें काव्य
रचना की पुस्तक की भूमिका वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफेसर रामनिरंजन परिमलु हिंदी विभाग के लिखी उन्होंने मिश्रजी के बारे में लिखा कि 80 की उम्र में भी साहित्य प्रति सक्रिय रहें और अपनी रचनाओं को एकत्र कर एक पुस्तक का रूप दिया जिसमें भाव प्रवणताहै संवेदनशीलता भी है भावनाओं का ज्वार है कविकी विभिन्न मन:स्थितियों का सफल चित्रण है लेकिन प्रकृति के आगे किसका बस चलता है 88 वर्ष की उम्र में 16 फरवरी बसंत पंचमी के दिन मिश्र जी ने अपनी आंखें मूंद ली भले आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें उनकी रचनाएं हमेशा साहित्य जगत में जीवंत रहेगी

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