गया: नगर निगम के द्वारा चलाये जा रहे सेनिटाइजेशन कार्यक्रम को लेकर मेयर,डिप्टी मेयर के कार्यों की शहर में हो रही प्रशंसा पर M.P. और M.L.A. से लोग हैं असंतुष्ट, ब्राह्मण-पंडा समाज ने भी किया रोष व्यक्त, कहा- जनप्रतिनिधियों को सिर्फ चुनाव में आती है हमारी याद
गया: नगर निगम के द्वारा चलाये जा रहे सेनिटाइजेशन कार्यक्रम को लेकर मेयर,डिप्टी मेयर के कार्यों की शहर में हो रही प्रशंसा पर M.P. और M.L.A. से लोग हैं असंतुष्ट, ब्राह्मण-पंडा समाज ने भी किया रोष व्यक्त, कहा- जनप्रतिनिधियों को सिर्फ चुनाव में आती है हमारी याद
गया : शहर में प्रतिदिन लगभग एक हजार नये कोरोना संक्रमितों की पहचान हो रही है।ये स्थिति सिर्फ गया की नहीं बल्कि पूरे देश की है जहां स्थिति और भी भयावह है।सरकार, विपक्ष,प्रशासन, सामाजिक संगठन हो या आम आदमी हर कोई अपने स्तर से खुद को बचाते हुए दूसरों की मदद करने का प्रयास कर रहा है।वहीं गया जैसे शहर में एक बार फिर नगर निगम ने कमर कस ली है। मेयर,डिप्टी मेयर से लेकर तमाम निगम के पदाधिकारी शहर को सेनिटाइज करने में लगे हुए हैं।इसी क्रम में आज मानपुर क्षेत्र में सेनिटाइजेशन का कार्य किया गया।इसके साथ ही मास्क वितरण व दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है।शहर में इनकी कार्यों की काफी प्रशंसा हो रही है।पिछली बार कोरोना संक्रमित हो जाने के बाद भी डिप्टी मेयर अपने दायित्वों से पीछे नहीं हटे थे और ठीक होने के बाद दुबारा लोगों की सेवा में तन-मन से जुट गए थें।वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि गया के M.P. और M.L.A. कहीं भी नजर नहीं आ रहें हैं।सिर्फ पेपरवाजी हो रही है।लोगों के दुःख-दर्द को बांटने वाला कोई नहीं है।प्राइवेट काम करने वाले रोजगार करने वाले लोगों को अपने और अपने परिवार की जीविका चलाने पर आफत हो गई है।लगभग एक वर्ष से मंदी का दौर जारी है।सामाजिक कार्यकर्ता व पंडा जी के समाज से आनेवाले छोटू वारीक ने कहा कि विष्णुपद मंदिर में पूजा-पाठ करवा कर पंडा समाज और ब्राह्मण समाज के अधिकांश लोग अपना जीवन यापन करते हैं।सरकार के निर्देशानुसार मंदिर अभी श्रद्धालुओं के लिए बंद है और कोरोना को देखते हुए ये जरूरी कदम भी है, लेकिन घर-घर वोट मांगने वाले यहां के जनप्रतिनिधि हमारी कोई खबर नहीं ले रहे ना तो उनके द्वारा कोई हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है।ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में कुछ दिनों पहले जांच के उपरांत काफी संख्या में कोरोना संक्रमित लोग मिले थें।इसके अलावे काफी लोगों का कहना था कि ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए वैसे जनप्रतिनिधियों को अपनी ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी करने की जरूरत है ताकि आपातस्थिति में उनपर संपर्क किया जा सके।
लोगों का ये आरोप और मांग बहुत हद तक सही भी प्रतीत होता है।हालांकि राजनीतिक दलें अपनी ओर से नंबर जारी किये हैं लेकिन वो कितना कारगर साबित होता है ये आनेवाला समय ही बताएगा।